इण्डियन फ़ेडरेशन आॅफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स
तीसरी दुनिया का सबसे बड़ा पत्रकार संगठन भारतीय श्रमजीवी पत्रकार महासंघ स्वातंत्र्योत्तर भारत में बना पत्रकारों का सर्वप्रथम टेªड यूनियन है। आई.एफ.डब्ल्यू.जे. की स्थापना नई दिल्ली में 28 अक्टूबर 1950 को हुई थी। आज इस फ़ेडरेशन के 30,000 से भी अधिक प्राथमिक और सहयोगी सदस्य भारत के 35 राज्यांे और केन्द्र-शासित प्रदेशों में 17 भाषाओं के 1260 पत्र-पत्रिकाओं तथा संवाद समितियों और टी.वी. में कार्यरत हैं। आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के सहयोगी श्रमिक संगठन है: समाचारपत्र कर्मचारियों का राष्ट्रीय परिसंघ, (National Federation of Newspaper Employees) कोलकता, और राष्ट्रीय संवाद समितियों एवं समाचारपत्र कर्मियों के संगठनों का महासंघ (National Confederation of Newspaper and News Agency Employees' Organisations)मुम्बई.
आई.एफ.डब्ल्यू.जे. एकमात्र ऐसा पत्रकार संगठन है जिसकी इकाइयां और शाखायें राष्ट्र के हर नगर, कस्बे और प्रकाशन केन्द्र में हैं। इन इकाईयों द्वारा प्रेस क्लब, पत्रकार भवन, प्रेस अकादमी, संदर्भ लाइब्रेरियां, प्रशिक्षण केन्द्र, अध्ययन मंच आदि संचालित होते हैं। पत्रकारिता शोध, श्रमिक संघर्ष, मानव-अधिकारों के लिये आन्दोलन, पर्यावरण संरक्षण, युद्ध-विरोधी अभियान आदि कार्यक्रमों में फेडरेशन की ये इकाईयां निरंतर क्रियाशील हैं। इन इकाइयों की अचल सम्पति की कुल लागत पन्द्रह करोड़ रूपयों से भी अधिक है।
विश्वव्यापी मीडिया कार्यक्रमों से आई.एफ.डब्ल्यू.जे. पूर्णतया जुड़ा है। आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के पारस्परिक संबंध 47 राष्ट्रों की पत्रकार यूनियनों से हैं। अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.O.) जिनेवा, तथा यूनेस्को (UNESCO) के जनसंचार विकास के अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रम (I.P.D.C., Paris) की विभिन्न योजनाओं के साथ आई.एफ़.डब्ल्यू.जे. सक्रियता से जुड़ा है। यह कोलम्बो-स्थित एशियाई पत्रकार यूनियनों के परिसंघ (Confederation of Asian Journalist Unions) से सम्बद्ध है। आई.एफ.डब्ल्यू.जे. अध्यक्ष ही इस एशियाई परिसंघ के चेयरमैन भी हैं। पिछले कुछ वर्षों में फेडरेशन के कई सौ सदस्य यूरोप, अमरीका और अफ्रीकी देशों में प्रशिक्षण और सम्मेलनों में भाग लेने जा चुके हैं।
प्रथम प्रेस आयोग (जिसके सभापति न्यायमूर्ति जी.एस. राज्याध्यक्ष तथा सदस्य आचार्य नरेन्द्र देव, पूर्व राष्ट्रपति रामस्वामी वेंकटरामन आदि थे) की संस्तुति पर केन्द्र और विभिन्न राज्य सरकारों ने 1954 में ही आई.एफ.डब्ल्यू.जे. को एक प्रतिनिधि राष्ट्रीय यूनियन के रूप में मान्यता दी थी। केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ई.के. मोइडू की अध्यक्षता में केन्द्रीय श्रम मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने 1977 में विधिवत जांच द्वारा निर्णय किया कि भारत के श्रमजीवी पत्रकारों की सर्वाधिक प्रतिनिधित्ववाली संस्था आई.एफ.डब्ल्यू.जे. ही है। मीडिया तथा श्रम-संबंधी सभी शासकीय समितियों जैसे वेतन बोर्ड, प्रेस काउंसिल, संवाददाता-मान्यता समिति, प्रेस सलाहकार परिषद तथा विदेश यात्रार्थ शिष्ट मण्डलों के लिये आई.एफ.डब्ल्यू.जे. मान्य है।
फेडरेशन के संविधान के अनुसार शीर्षपद पर अध्यक्ष होता है जिसे हजारों सदस्य राष्ट्रव्यापी प्रत्यक्ष मतदान से हर तीन वर्ष में चुनते हैं। अध्यक्ष के साथ एक प्रधान सचिव, चार उपाध्यक्ष, छह क्षेत्रीय सचिव, एक कोषाध्यक्ष तथा 17 राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सामूहिक नेतृत्व करते हैं। उन सब का निर्वाचन सैकड़ों राष्ट्रीय पार्षद त्रैवार्षिकी प्रतिनिधि-अधिवेशन में गुप्त मतदान द्वारा अनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर करते हैं।
विगत 62 वर्षों में सतत संघर्ष द्वारा आई.एफ़.डब्ल्यू.जे. ने पत्रकारों के लिये कई श्रमिक लाभ हासिल किये हैं: जैसे 1956 में संसद द्वारा पारित सर्वप्रथम श्रमजीवी पत्रकार एक्ट जिससे काम के घंटे, वेतन कानून आदि निर्धारित हुये। समाचार पत्र उद्योग के लिये दो (1954 तथा 1980) प्रेस आयोग की रचना कराना, वेतन बोर्डों का गठन (1959 से), प्रेस परिषद की स्थापना कराना इत्यादि आई.एफ.डब्ल्यू.जे. की उपलब्धियां हैं। गांधी जयन्ती के उपलक्ष पर हिंसाग्रस्त अमृतसर (पंजाब, 1990) के स्वर्ण मन्दिर-जालियांवालां बाग परिसर में शान्ति मार्च, आतंक-पीडि़त श्रीनगर (कश्मीर) के लाल चैक तथा कन्याकुमारी में एकता मार्च, अयोध्या, गुवाहाटी, कटक, चेन्नई, कुरुक्षेत्र, रामेश्वरम, कोलकता, मैसूर, गोवा, कोल्लम, जयपुर धर्मषाल (हिप्र), माउन्ट आबू आदि में राष्ट्रीय सम्मेलन आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के हाल ही के क्रियाशल आयोजनांे में रहें हैं। अधुना इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष टाइम्स आॅफ इण्डिया के पूर्व संवाददाता साथी के. विक्रम राव ने पुनर्निवाचित होकर 2013 से अपनी तीन-वर्षीय कार्यावधि प्रारंभ की है। उनके ग्यारह-पूर्व अध्यक्षों में प्रमुख थे लखनऊ के दैनिक नेशनल हेरल्ड के सम्पादक एम. चलपति राव, बंगलौर के दैनिक डेक्कन हेरल्ड तथा दैनिक दि डाॅन के सम्पादक पोथन जोसेफ़, उत्तर प्रदेश के पण्डित बनारसीदास चतुर्वेदी, कलकत्ता के अधीर बनर्जी, चेन्नई के तमिल दैनिक मक्कल कुरल (जनवाणी) के सम्पादक टी. आर. रामस्वामी.
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